Osteoarthritis (ऑस्टियोआर्थराइटिस) जोड़ों में दर्द और जकड़न पैदा करने वाली बीमारी है। यूँ तो इसका कोई पूर्ण उपचार संभव नहीं है परन्तु अगर समय रहते रोग पकड़ में आ जाये तो अनेक प्रकार के उपचारों द्वारा इसकी रोकथाम की जा सकती है। यह रोग मुख्यतः जोड़ों की हडियों के बीच रहने वाली आर्टिकुलर कार्टिलेज को नुकसान देता है। आर्टिकुलर कार्टिलेज हडियों के बीच में एक प्रकार के मुलायम कुशन की तरह काम करता है। धीरे धीरे जब यह कार्टिलेज नष्ट होने लगती है, तब जोड़ों के मूवमेंट के वक़्त हडियाँ एक दुसरे से टकराने लगती हैं। इस टकराहट से जॉइंट बेहद कष्टकारी हो जाता है।
यह रोग अक्सर पचास साल या उससे अधिक आयु में लोगों को प्रभावित करता है। वैसे तो यह किसी भी जॉइंट को नुक्सान दे सकता है पर घुटने के जॉइंट के रोगी सबसे अधिक पाए जाते हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)
के सामान्य प्रारम्भिक उपचार
कई अन्य गठिया रोगों की तरह ऑस्टियोआर्थराइटिस भी अपनी प्रारम्भिक अवस्था में सामान्य उपचारों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
नोनसर्जिकल उपचार के विकल्प
जीवन शैली में परिवर्तन
अपनी जीवन शैली में परिवर्तन आपके घुटने की रक्षा और गठिया की प्रगति को धीमा कर सकते हैं। कम वजन घुटने पर तनाव कम कर देता है, जिससे दर्द कम हो सकता है और रोग की गति भी धीमी हो जाती है। ऐसे कार्य जिनमें घुटने का अधिक प्रयोग होता हो, जैसे सीडियां चड़ना, ना करें। ऐसे व्यायाम (जैसे जॉगिंग) के स्थान पर तैराकी या साइकिलिंग किया जा सकता है, जिससे घुटने पर कम दवाब पड़े.
फिजियोथेरेपी
फिजियोथेरेपी गति और लचीलेपन की सीमा को बढ़ाने के साथ ही पैर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करती है। फिजियोथेरेपिस्ट रोग का पूरी तरह मूल्यांकन करने के पश्चात, रोगी की हालत, उम्र और जीवन शैली के अनुसार एक व्यक्तिगत व्यायाम कार्यक्रम का सुझाव देते हैं।
घुटने के गठिया रोग के लिए फिजियोथेरेपी चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य हैं:
घुटने के दर्द और सूजन को कम करना।
घुटने के मूवमेंट और लचीलेपन को सामान्य करना।
घुटने की quadriceps (क्वाडरीसेपस) और hamstring (हैमस्ट्रिंग) मसल्स को मजबूत बनाना।
शारीर के निचले भाग को मजबूत बनाना: पिंडली की मांसपेशियों, कूल्हे इत्यादि
Kneecap के दर्द में कमी और मूवमेंट में सुधार।
मसल्स को मजबूत बनाना।
संतुलन में सुधार।
बैठने, चलने की तकनीक में सुधार।
दर्द-निवारक दवाईयां
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) के दर्द से राहत के लिए अनेक प्रकार की दवाईयां उपलब्ध हैं। किसी को कोई दवा सही आराम देती है, तो किसी को कोई और। इसलिए ये आवश्यक है की आप अपने डॉक्टर से निसंकोच बात करें जब तक आपको सही दवा का पता नहीं चलता है। कुछ दर्द निवारक दवाईयां एसिटामिनोफेन से बनी होती हैं। कुछ अन्य को NSAID केटेगरी में रखा जाता है। NSAID यानि नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इनफ्लैमेशन ड्रग्स, जिनमें शामिल हैं इबुप्रोफेन। NSAID दर्द निवारक का लम्बे समय तक सेवन करने से अनेक दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें आतों से खून का रिसाव प्रमुख है। Opiate (ओपिऐट) एक अन्य प्रकार की दर्द निवारक दवा है। बिना डॉक्टर के परामर्श के कोई भी दवाई लेना खतरनाक हो सकता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए कुछ उपयोगी दवा के बारे में जानें
Aceclofenac (असेक्लोफेनाक) – उपयोग, साइड-इफेक्ट्स और अन्य जानकारी
Hyaluronic (ह्यालुरोनिक) इंजेक्शन
ह्यालुरोनिक एसिड हमारे जोड़ों में प्राकर्तिक रूप से पाया जाता है। ये एसिड एक प्रकार का चिकना पदार्थ है जो जोड़ों की हडियों को एक दूसरे पर आसानी से घुमने में सहायता करता है। इस तरह के इलाज में डॉक्टर सीधे जोड़ों में इस एसिड का इंजेक्शन लगा देता है, जिससे कुछ समय तक रोगी को आराम मिल जाता है। छह महीने या उससे पहले रोगी को फिर से इस प्रकार के इंजेक्शन की जरुरत पड़ सकती है।
Corticosteroid (कोर्टिको- स्टेरॉयड) इंजेक्शन
डॉक्टरों कभी कभी दर्द और सूजन से तुरंत राहत के लिए घुटने में सीधे कोर्टिको-स्टेरॉयड इंजेक्शन लगा सकता है। यह उपचार तब अधिक उपयोगी होता है जब रोगी साधारण दर्द निवारक औषधियों से आराम नहीं पा रहा हो, और जब अधिक गंभीर उपचार जैसे शल्य चिकित्सा भी तुरंत संभव ना हों.
सर्जिकल उपचार के विकल्प
जब गठिया दर्द विकलांगता और दर्द का कारण बन जाये, तो आपका डॉक्टर सर्जरी की सिफारिश कर सकता है। जब भी आपको सर्जरी या शल्य चिकित्सा का परामर्श मिले, आपकी लिए खुद ये जाना जरुरी है की चिकित्सा के संभावित लाभ बड़े हैं या खतरे? परन्तु ये तभी हो सकता है, जब आप पूरी जानकारी ले कर अपने डॉक्टर से बिना किसी झिझक से सलाह मशविरा करें। कई बार शल्य चिकित्सा सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है, परन्तु कभी कभार नहीं भी। आपके लिए ये जाना जरुरी है की डॉक्टरों के लिए भी कई बार ये निर्णय करना आसान नहीं होता की सर्जरी आपके लिए सर्वोतम विकल्प है या नहीं। ऐसा क्यों है, इस बारे में हम बाद में चर्चा करेंगे, परन्तु अभी आप ये जानिए की घुटने की सर्जरी भी कई प्रकार की हो सकती है।
Arthroscopy (आर्थोस्कोपी)
आर्थोस्कोपी के दौरान डॉक्टर छोटे चीरों का उपयोग करके कुछ उपकरण घुटने के जोड़ की तरफ डालते हैं। ये उपकरण ये देखने के लिए डाले जाते हैं की आपके घुटने में रोग के कारण कितना नुक्सान हुआ है। यही देखते समय डॉक्टर कुछ छोटे मोटे सुधार भी कर सकता है, जैसे की अगर हड्डी से कोई नुकीला भाग निकला हुआ हो, तो उसे काट कर सपाट बनाना। ऐसा करने से थोड़े समय के लिए रोगी को दर्द से रहत मिल सकती है, मगर यह कोई स्थायी उपचार नहीं है।
Synovectomy (साइनोवेकटोमी)
ये सर्जरी घुटने के जोड़ को एक प्रकार से ढकने वाले टिश्यू, साइनोवियम में हुए नुक्सान को सुधारने के लिए की जाती है। इससे रोगी को एक असहनीय दर्द से मुक्ति मिलती है। वैसे ये कम ही देखा गया है की गठिया रोग साइनोवियम टिश्यू को उतना नुकसान देगा जितना वो सीधे आर्टिकुलर कार्टिलेज को देता है। जबकि आर्थराइटिस का एक अलग रूप जिसे Rheumatoid (रुमेटोईड) कहा जाता है, साइनोवियम टिश्यू को ज्यादा नुकसान देता है।
Cartilage Grafting (कार्टिलेज ग्राफ्टिंग)
इसमें पहले एक सामान्य और स्वस्थ कार्टिलेज घुटने के अन्य भाग से या कार्टिलेज बैंक से लिया जाता है। इस भाग का प्रयोग आर्टिकुलर कार्टिलेज में हुए नुकसान को पाटने में किया जाता है। ये प्रक्रिया उन्ही रोगियों में कारगर है जो कम उम्र के हैं और जिनके आर्टिकुलर कार्टिलेज में नुकसान थोडा ही है।
Osteotomy (ओसटीयोटोमी)
घुटने की ओसटीयोटोमी का मतलब है, टिबिया (पिंडली की हड्डी) और फीमर (जांघ की हड्डी) में कटौती और फिर घुटने पर दबाव कम करने के लिए सुधार। एक मरीज जिसके घुटने के केवल एक भाग में क्षति हुई हो, और नुकसान प्रारंभिक अवस्था में हो, ऐसे केस में ओसटीयोटोमी की जा सकती है। यह चिकित्सा क्षतिग्रस्त हिस्से पर वजन कम करने में मदद करती है, जिससे रोगी को दर्द में आराम मिलता है और घुटने का मूवमेंट सही होता है।
Uni-compartmental (युनीकम्पार्टमेंटल) सर्जरी
जब घुटने का मात्र एक ही तरफ का हिस्सा ख़राब हुआ हो, ऐसे में युनीकम्पार्टमेंटल सर्जरी की जा सकती है। इस प्रक्रिया में घुटने के केवल प्रभावित अंग को काट कर नए इम्प्लान्ट्स लगा दिए जाते हैं।
TOTAL KNEE Replacement (पूर्ण घुटना बदलाव)
पूर्ण घुटना बदलाव की सर्जरी अक्सर TKR (टी के आर) के संक्षिप्त रूप में जानी जाती है. इस सर्जरी में जोड़ों के पास आने वाली टिबिया (पिंडली की हड्डी) और फीमर (जांघ की हड्डी) हडियों को काट कर सपाट किया जाता है और उनके ऊपर आर्टिफीसियल पार्ट्स को लगा दिया जाता है। क्षतिग्रस्त आर्टिकुलर कार्टिलेज को भी निकाल दिया जाता है, और उसकी जगह पे आर्टिफीसियल भाग लगाया जाता है, जो की कार्टिलेज के समान ही जोड़ की हडियों के बीच एक कुशन की तरह काम करता है। इस प्रक्रिया में लगने वाले इम्प्लान्ट्स उच्च गुणवत्ता वाले प्लास्टिक , पॉलिमर या धातु के बने होते हैं।
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